Why is the Khattar government kind to the son-in-law of former CM Hooda
कहते हैं राजनीति किसी की सगी नहीं होती, ठीक ही कहते होंगे। पर नेता आपस में सगे जरूर होते हैं। वो तो कार्यकर्ता ही हैं जो आपस में मर कटने को तैयार रहते हैं। कहने को कांग्रेस और भाजपा दोनों कट्टर विरोधी पार्टी हैं। आज ऐसा एक मामला सामने आया है। दरअसल हुआ यूं कि वरिष्ठ पत्रकार पवन बंसल ने वाड्रा पर लिखा कि-
जब दामाद (रोबर्ट वाड्रा ) काबू है तो सासू (सोनिया गाँधी ) कहा जाएगी
बंसीलाल ने संजय गाँधी को मारुती फैक्ट्री लगाने के लिए गुरुग्राम में किसानो की जमींन पुलिस के डंडे के बल पर संजय गाँधी को दिलवा दी। तब यह नारा लगा था “जब बछड़ा (संजय गाँधी ) काबू है तो गाय (इंदिरा गाँधी कहा जाएगी। ) उसी इतिहास को दोहराते हुए किसान और फ्रीडम फाइटर के बेटे भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सोनिया गाँधी के दामाद रोबर्ट वाड्रा को गुरुग्राम में जमींन ओने पोन दाम में दिलवाकर सोनिया गाँधी के गले में फंदा डाल दिया। उनके समर्थक बड़े गर्व से कहते थे कि जब दामाद (रोबर्ट ) काबू है तो सासू (सोनिया गाँधी ) कहा जाएगी।
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अब दामाद को काबू करके धीरे-धीरे हुड्डा ने कांग्रेस पार्टी पर कब्जा कर लिया। मजबूर होकर इंदरजीत और बीरेंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी। सोनिया के आशीर्वाद से हुड्डा ने गुरुग्राम में किसानों की जमीने बिल्डरों के हवाले करवाने का नंगा नाच किया। क्या मानेसर ,क्या उलावास और क्या रोहतक की सन सिटी ? जमींन अधिग्रहण का दुरुपयोग करते हुए किसानों की अरबों की पुरखों की जमींन बिल्डरों के हवाले कर दी। जनाब अदालतों के चक्कर भी लगा रहे हैं। चीफ मिनिस्टर बनने के बाद कहते थे कि मैंने मौत को करीब से देखा है -साथ कुछ नहीं जाना। मैं जनता के हित में बिना किसी दवाब और लालच के अपनी आत्मा की आवाज पर काम करूंगा। लेकिन फिर अपनी आत्मा बिल्डरों की गोद में रख दी। एक घर तो डायन भी छोड़ देती है। हुड्डा ने तो रोहतक के लोगों को भी नहीं बख्शा जिन्होंने उसे , देवीलाल जैसे कद्दावर नेता के मुकाबले उन्हें तीन बार जितवाया। खेडीसाद में किसानो की जमीन के अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसान नेता रमेश दलाल पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करवा दिया। ये तो शुक्र है रोहतक की एडिशनल सेंशस जज शालिनी नागपाल का जिन्होंने दलाल को जमानत दी।
सोनिया गाँधी के दामाद को दस बीस करोड़ का फायदा दिलवाकर अपने दामाद और अपने दोस्तों के दामादों के लिए कुबेर का खजाना खुलवा दिया। किसान के बेटे करोड़पति से अरबपति बनते गए। गुरग्राम में आलीशान फार्म हॉउस बनाये और शाम दिल्ली के सेवन स्टार होटल में बीतने लगी और किसान वहीं का वहीं। किसानों के मसीहा छोटूराम कहते थे कि ए भोले किसान बोलना सिख ले और अपने दुश्मन की पहचान कर ले। आपको किसानों के नेताओं का असली चेहरा दिखा दिया है। आगे आपकी मर्जी। ये किसानों के नेता अपने बच्चों की शादी दिल्ली के सेवन स्टार होटल में करते हैं, वहां नरेंद्र मोदी को तो बुलाते हैं।
पूर्व सीएम हुड्डा के दामाद पर मेहरबान मनोहर सरकार (Khattar government former CM Hooda)
इस सिलसिले में बात निकली तो जिक्र हुड्डा के दामाद तक पहुंच गया। पूर्व मुख्यमंत्री के दामाद के एक घाटा ( गुरुग्राम) स्थित पैट्रोल पंप के ऊपर से हाई पॉवर ट्रांसमिशन वायर्स गई हुई है। एक बार सरकार को एक बड़े अधिकारी ने लाइसेंस कैंसिल करने को भी लिखा था। लेकिन जिस तरह से वाड्रा कांग्रेस के साथ केंद्र सरकार का भी दामाद बनता दिख रहा है, उसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा का दामाद भी प्रदेश सरकार ने भी अपना दामाद मान लिया है।
बात इतने पर नहीं थमी तो एक साथी ने सबूत भी मांग लिए। पांच साल पहले की खबर है मुख्यमंत्री के पीएस राजेश खुल्लर ने पेट्रोल पंप बंद करने के आदेश दिए थे, पर दामाद तो दामाद होता है, वो चाहे कांग्रेसी नेता का हो या किसी दूसरी पार्टी के नेता का। दरअसल ये पेट्रोल पंप पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के दामाद कुनाल भादू का है, जो मूलतः अबोहर (पंजाब) के निवासी हैं।
देश में लोगों को जाति-व्यवस्था से घृणा और लगाव दोनों हैं। परंतु अफसरशाही और नेता भी एक खास किस्म की जाति है। वैसे भी मेरे एक मित्र तो कहते हैं कि नेताओं की कोई जात-जमात नहीं होती। जिस तरह खट्टर सरकार नियमों को ताक पर रखकर पूर्व सीएम हुड्डा के दामाद की मदद कर रही है, उससे साफ है कि नेता भी अपनी बिरादरी के लिए पूरी तरह समर्पित होकर काम करते हैं।