चौधरी देवी लाल का 1977 में पहली बार सीएम बनने पर विधानसभा में संबोधन! (Chaudhary Devi Lal)

Chaudhary Devi Lal 21 जून 1977 को पहली बार सीएम बने

4 जुलाई 1977 को दोपहर 2 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई। इसके कार्यवाहक अध्यक्ष चौधरी प्रताप सिंह ठाकरान ने अध्यक्षता की। भट्टू कलां से विधायक चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) जी ने सीएम पद की शपथ ली और उनके मंत्रिमंडल में रोहतक से विधायक डॉक्टर मंगल सेन, नारनौंद से विधायक वीरेंद्र सिंह, यमुनानगर से विधायक श्रीमती कमला वर्मा, कलायत (एससी) से प्रीत सिंह, रोहट से ओमप्रकाश शामिल थे। बवानीखेड़ा (एससी) के जगन्नाथ को चीफ पार्लियामेंट सेकेट्री बनाया गया था।

देखिए 1977 में किस विधानसभा से कौन बना था विधायक

1977 में चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) का मंत्रीमंडल

चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal), मुख्यमंत्री,
डॉ. मंगल सेन, उद्योग मंत्री,
रण सिंह, कृषि मंत्री,
मूलचंद जैन, वित्त मंत्री,
वीरेंद्र सिंह, सिंचाई और ऊर्जा मंत्री,
भजनलाल, सहकारिता एवं डेयरी विकास मंत्री,
प्रीत सिंह, राजस्व मंत्री,
बीर सिंह, विकास मंत्री,
लछमन सिंह, लोक निर्माण मंत्री,
कमला वर्मा, स्वास्थ्य एवं मुद्रण एवं लेखन सामग्री मंत्री,
राम लाल वाधवा, स्थानीय निकाय मंत्री,
हीरा नंद, शिक्षा मंत्री,
मेहर सिंह राठी, जेल सांस्कृतिक कार्य मंत्री,
शेर सिंह, आबकारी एवं कराधान मंत्री,
गजराज बहादुर नागर, खाद्य आपूर्ति मंत्री,
सुरिंदर सिंह, मुख्य संसदीय सचिव

उद्योग मंत्री (डा. मंगल सैन): माननीय अध्यक्ष महोदय, पांच वर्ष की अवधि के पश्चात पुनः इस आसन पर आपको विराजमान देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। 1972 में इस सदन में न आप ही आए और न ही मुझे जनता ने यहां भेजा परन्तु 1968 से लेकर 1972 तक इस चार साल की अवधि में जब मैं विपक्ष के बैंचिज पर बैठता था तो आप इस आसन पर विराजमान होते थे। मैंने इन चार वर्षों में सदन में, आपको अध्यक्ष के रूप में कार्य करते देखा है और अध्यक्ष के रूप में, सदस्यगण के साथ आपका बर्ताव देखा है। आपकी योग्यता में क्या कमी हो सकती है। आप एक अच्छे लेजिस्लेटर और राजनैतिक है। राजनीति में प्रवेश करने से पहले आपने अपना बहुत सारा जीवन भारत की सेवा में बिताया है। भारतीय सेना में आपने जिस योग्यता से कार्य किया. उसके नतीजे के तौर पर आप ब्रिगेडियर के उच्च तथा प्रतिष्ठित पद पर पहुंचे। वहां से रिटायर होने के बाद आपने जिस योग्यता का परिचय सेना में दिया था, उसी योग्यता का परिचय यहां इस सदन में भी दिया।

आप मेरे जिला के हैं और इस नाते भी मैं आपको नजदीक से जानता हूं। जहां आप एक अच्छे सेनानी रहे हैं और राजनीति में सुलझे हुए हैं, वहां आपने विधान सभा में भी अपनी अध्यक्षता के कारण अद्वितीय प्रतिभा का परिचय दिया हैं। इसके साथ ही साथ आपकी शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत लगन है। आपने पिछडे हुए ग्रामीण इलाके की उस तहसील में जिस तहसील को यह गौरव है उसने भारत की सेना में सबसे ज्यादा सैनिक देश की रक्षा के लिए भेजे है, शिक्षा फैलाने में काफी काम किया है। मेरा कहने का तात्पर्य है कि झज्जर तहसील में दुजाना और बेरी के बीच एक महाविद्यालय जो कायम हुआ है, वह आपके परिश्रम का परिणाम है। आप एक अच्छे समाज सेवी भी है। हमारे जिले की सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में आपने बहुत योगदान दिया है। एक और बात जो इस अवसर पर अगर मैं नहीं कहूंगा तो बात अधूरी रह जाएगी। वह यह है कि यह जो भासन गया है, उसमें आप पर अध्यक्ष होने के नाते बहुत सारी पाबन्दिया थी. आपके रास्ते में निश्पक्षता से कार्य करने में बाधाएं डाली जाती थी और आप उस शासन में बोल नहीं सकते थे असमर्थ थे और उस शासन को उस तानाशाही के राज को जनता ने जड़ से उखाड़ दिया।

उस शासन में लोकतन्त्र की हत्या की गई थी। लोकतन्त्र की परम्पराओं को पाव तले रौंदा गया था और हरियाणा के प्रशासन में भ्रष्टाचार का बोल बाला था। आप एक साहसी सैनिक होने के कारण उस भ्रष्टाचार के विरूद्ध आवाज उठाने में सर्वप्रथम रहे और आपकी आत्मा ने उस प्रशासन के विरुद्ध बगावत की आपने कहा, मुझे अच्छी तरह याद है कि ‘हरियाणा के प्रशासन में इतना भ्रष्टाचार है जितना कि अरब के किसी देश में थोड़ी सी खुदाई करने पर हर जगह तेल निकलता है उसी प्रकार हरियाणा में भी भ्रष्टाचार फैला हुआ है। आपकी इस सच्चाई बताने की वजह से आपको पहले टिकट नहीं दिया गया, परन्तु फिर भी आप बोले नहीं और मौन साधना करते रहे और हर प्रकार की यातनाएं सहते रहे। अब जनता पार्टी की तरफ से आप इस विधान सभा में आए हैं।

मुझे इस बात की खुशी है कि आप सर्वसम्मति से अध्यक्ष के पद पर निर्वाचित किए गए हैं। आप इसके लिए बधाई के पात्र हैं और यह सदन भी बधाई का पात्र है, जिसने ऐसा किया। मैं समझता हूं कि हमारे सदन की आपके सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने जाने के लिए सारे देश में प्रशंसा होगी। मेैं ज्यादा न कहता हुआ अपनी और अपने दल की ओर से आपको बधाई देता हूं और आपको आश्वासन देता हूं कि हर कार्य में आपको हमारी तरफ से सहयोग मिलेगा और अच्छी से अच्छी परम्पराएं कायम करने में आपका पूरा साथ देंगे। इन शब्दों के साथ मैं आपको बधाई देता हुआ अपना स्थान ग्रहण करता हूँ।

पहली बार सीएम बने चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal) का विधानसभा में पहला संबोधन

मुख्यमंत्री चौधरी देवी लाल (Chaudhary Devi Lal): स्पीकर साहब आपको तो मुबारिकबाद देनी ही थी, जबकि हरियाणा के सारे मैंबरान ने आपको मुस्ताफिक तौर पर चुना, लेकिन आपके साथ-साथ मैं हाउस को भी मुबारिकबाद देता हूँ, क्योंकि आज हाउस बड़ी खुली और आजाद हवा में बैठ रहा है। ऐमरजैंसी के जमाने में जहां जुडियशल की ताकत छीन ली गई थी, उसके साथ ही लेजिस्लेचर की ताकत भी छीन ली गई थी और उन दिनों में ऐसे हालात पैदा कर दिए गए थे कि प्रिवलेज के नाम पर मैंबरान को एक्सपैल करने लगे थे। इसके लिए मैं चौधरी हरद्वारी लाल को भी मुबारिकाद देता हूं। उन्होंने एक मिसाल कायम की। हाईकोर्ट में जाकर के जो छीनी हुई ताकत थी, वह इन्होंने वापिस ली। लेकिन आपको मैं इस वास्ते भी ज्यादा मुबारिकबाद देता हूं कि आपके वे लफ्ज सारे हिन्दोस्तान के लोगों के कानों में गूंज रहे हैं। जो प्रधानमंत्री को आपने एक पत्र मे लिखे थे। आपन लिखा था कि-

अरब देश में तो अगर कुदाल मारा जाए, तो तेल निकलता है, लेकिन हरियाणा में जहां कुरेदो वहां भ्रष्टाचार निकलता है।

उसका सबूत आजकल सी० बी० आई० की इंक्वायरियों में मिल रहा है और वह सब तो जल्दी ही उजागर भी हो जाएगा।

मैं अफसोस के साथ कहता हूं कि वे बी (भगवतदयाल शर्मा, बीरेंद्र सिंह, बंसीलाल, बनारसीदास गुप्ता) की सरकार के दौर में हरियाणा की बैकवर्डनैस को खत्म नहीं कर पाए। इसी वास्ते जनता ने हरियाणा की डेवलेप्मेंट करने के लिए ‘डी’ की सरकार को चुना।

स्पीकर साहब, मैं आपकी मार्फत हाउस को ये यकीन दिलाना चाहता हूँ कि मैं अपनी तरफ से पूरा प्रयत्न करूंगा कि हरियाणा की डिवैल्पमैंट में कोई कमी न रहे। इसके साथ ही अपोजीशन से भी यह उम्मीद करता हूँ कि वह भी अपना सहयोग दें। उनकी तामीर मुक्ताचीनी को मैं बहुत पसन्द करूंगा, क्योंकि बगैर नुक्ताचीनी के हम भी ठीक रास्ते पर चल नहीं सकते।

राव वीरेन्द्र सिंह जी ने कहा था कि अगर सरकार सही रास्ते पर नहीं चली, तो उन्हें वहीं तरीका अख्तियार करना पड़ेगा, जो पहले हमको करना पड़ा था। राव साहब वह रास्ता बहुत मुश्किल है, जो हमने अख्तियार किया था। यह आपके बस का रोग नहीं है, उन तरीकों में काफी दिक्कतें उठानी पड़ती है। जेल की भी हवा खानी पड़ती हैं। मैं तो चाहूंगा कि अगर हम गलत रास्ते पर चलें. गलतियां करें तो अपोजीशन को चाहिए कि वह बाहर जाकर पब्लिक अपोनियन हमारे खिलाफ बनाए और जिस तरह हमने इनको कान पकड़कर बाहर निकाला है, उसी तरह वह हमें निकाले।

जनता-जनार्दन जो राज तिलक लगा सकती हैं, वह ठोकर मार कर गद्दी से भी उतार सकती है। मुझे मालूम है कि अगर हम गलती करेंगे तो जिस तरह से जनता ने पिछली लोकसभा और असम्बली इलेक्शन में पिछली सरकार का हाल किया है, वही हालत हमारी भी हो सकती है। इन शब्दों के साथ स्पीकर साहब, मैं आपको दिली मुबारिकबाद देता हूं।