शहीदों का शहर झज्जर जिले की परीक्षा उपयोगी विशेष जानकारी (Martyrs City Jhajjar District Current Affairs Haryana GK)

Martyrs City Jhajjar District Current Affairs Haryana GK Haryana CET Exam

हरियाणा के मध्य-दक्षिण में स्थित झज्जर एक ऐतिहासिक शहर है। इसके पूर्व में दिल्ली राज्य उत्तर में रोहतक, पश्चिम में दक्षिण-पूर्व में गुरुग्राम और दक्षिण पश्चिम में रेवाड़ी जिला स्थित है।
• स्थापना- 15 जुलाई, 1997 को नव जिला गठित
• क्षेत्रफल- 1834 वर्ग कि.मी.
• मुख्यालय- झज्जर
• उपमण्डल- झज्जर, बेरी, बादली व बहादुरगढ़
• तहसील- झज्जर, बहादुरगढ़, मातनहेल,बादली व बेरी
• उपतहसील- साल्हावास
• खण्ड- झज्जर, बहादुरगढ़, बेरी, मातनहेल, बादली व साल्हावास
• प्रमुख उद्योग- मशीनी उपकरण, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, डीजल इंजन
• प्रमुख नगर- बहादुरगढ़, परनाला, हसनपुर, सांखोल, बेरी, लाडरावास व झज्जर
• पर्यटन स्थल- ठाकुरद्वारा, शिवालय, रूढ़मल मन्दिर, काली मस्जिद
• जनसंख्या- 958405
• जनसंख्या घनत्व- 523 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
• लिंगानुपात- 862
• साक्षरता दर- 80.65%

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पौराणिक एवं ऐतिहासिक (Martyrs City Jhajjar District)

● झाज्झू अथवा झोझ गहलावत व्यक्ति के अनुरोध पर गौरी ने झज्जर शहर को बसाया। इस इलाके पर मुगलों की हुकूमत के बाद फर्रुखसियर, रघुनाथराव, महाराज सूरजमल ने भी राज किया। सन् 1780 ईस्वी में आयरलैंड में जन्में जॉर्ज थॉमस सिंधिया घराने के नवाब आप्पाजी खाँडेराव के संपर्क में आए। अपने खिलाफ बढ़ता विरोध देखते हुए थॉमस ने 1801 ईस्वी में सब कुछ छोड़कर कलकत्ता चले गए। सन् 1803 ईस्वी में यह इलाका ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्जे में आ गया।

Jhajjar के शासकों में गोविन्दराव (सन् 1192 से 1193), नसीरुदीन नुसरत शाह (सन 1388), हसन खां मेवाती (सन 1489 से 1527), मराठे (सन 1712 से 1718), आकिल खाँ अफगान (सन् 1718), रुकनदीन (सन् 1718 से 1732), आकिल खाँ, फौजदार खाँ (सन् 1732 से 1745), राव गुजरमल आमील (सन् 1739 से 1747), मीर मुर्तजा खाँ ईरानी (सन् 1749 से 1754), इसल अली खाँ (सन् 1755) मिर्जा खाँ (सन् 1755 से 1762), जाट राजा (सन् 1762 से. 1771), वाल्टर रीनहटर्ज सामरू (सन् 1772-78), सामरू बैंगम (सन् 1778 से 1785), नजफ़ कुली खाँ (सन् 1785 से 1789), मिर्जा इस्माईल बेंग (सन् 1789 से 1791), आप्पाजी खांडेराव (सन् 1792 से 1794), जॉर्ज थॉमस (सन् 1794 से 1802), अंग्रेज (सन् 1803 से 1806), निजाबत अली खाँ (सन् 1806 से 1824), फैज मुहम्मद खाँ (सन् 1824 से 1835), फैज अली खाँ (सन् 1835-45), अब्दुर्रहमान खाँ (सन् 1845 से 1857) शामिल हैं। 1959 में बना झज्जर का पुरातात्विक संग्रहालय हरियाणा के मुख्य संग्रहालयों में से एक है। झज्जर शहर से पन्द्रह किलोमीटर की दूरी पर बना भिंडावास कॉम्पलैक्स पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

● 18 अक्टूबर 1857 को छुछकवास के नवाब ने अंग्रेजों सामने हथियार डाल दिए और उन्हें 14 दिसंबर को लाल किले के सामने फांसी दे दी गई। इस तरह Jhajjar अंग्रेजों के कब्जे में आ गया और इसे नारनौल और दादरी से जोड़कर नया जिला बना दिया गया। लेकिन कुछ समय बाद इसे तहसील बनाकर रोहतक से जोड़ दिया गया। 15 जुलाई 1997 को यह फिर से नया जिला बना।

महत्त्वपूर्ण स्थल (Martyrs City Jhajjar District)

● गुरुकुल झज्जर पुरातात्विक संग्रहालय- वर्ष 1959 में आचार्य भगवान देव उर्फ स्वामी ओमानन्द सरस्वती ने झज्जर में पुरातात्विक महत्व के संग्रहालय का श्रीगणेश किया। 427 ताम्रपत्रों पर खुदाई करके लिखे गए स्वामी दयानन्द रचित सम्पूर्ण ‘सत्यार्थ प्रकाश’ इस संग्रहालय की एक अनूठी और दुर्लभ कृति है। गुरुकुल झज्जर की स्थापना 16 मई, 1915 को महाशय बिशम्बरदास, स्वामी परमानन्द और स्वामी ब्रह्मानन्द द्वारा की गई।

● गौरेया पर्यटक स्थल- राष्ट्रीय राजमार्ग दस पर बहादुरगढ़ में गौरेया पर्यटक स्थल स्थापित किया गया।

● काजी की मस्जिद, दुजाना- रोहतक से 22 किलोमीटर दूर झज्जर मार्ग पर स्थित ग्राम दुजाना में निर्मित यह एक प्राचीन मस्जिद है। आज से लगभग दो सौ साल पहले सैयद हफीजुदौन नामक एक काजी ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था।

● भिण्डावास पक्षी विहार- भिण्डावास पक्षी विहार झज्जर से 15 किलोमीटर दूर पहल गाँव में है।

● निराचा धाम, बेरी- जिला Jhajjar के कस्बा बेरी के पूर्वोत्तर में स्थित निराचा धाम का बड़ा महत्त्व है। इसे बाबा भगवानदास आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।

● पारम्परिक लघु उद्योग- Jhajjar की झज्जरी यानी सुराही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान कायम किए हुए है।

● डीघल गाँव का शिवालय- यहाँ पर डीघल में प्राचीन शिवालय स्थित है। इस मंदिर का निर्माण कार्य साहूकार लाला धनीराम ने प्रारम्भ करवाया था। एक ऊँची चौकी पर नागर शैली में बने शिवालय को बनाने के लिए ब्रह्मभाग, विष्णुभाग तथा सबसे ऊपर शिवभाग की कल्पना की गई। इसका निर्माण 1880 ई. में किया गया था।

● बेरी का रूढ़मल मंदिर- बेरी में अनेक प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इनमें रूढ़मल मंदिर प्रसिद्ध है। इस मंदिर के चारों और 24 अवतारों के शिल्प बनाए गए हैं। इस मंदिर का निर्माण 1892 में लाला रूढ़मल, सूरजभान और गिरधारीलाल नामक तीन भाइयों ने करवाया था।

● भीमेश्वरी देवी का मंदिर- यह महाभारत के काल का मंदिर है। बेरी गाँव में स्थापित इस मंदिर के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहाँ आते हैं।

● बुआ का गुम्बद- Jhajjar में स्थित इस गुम्बद का निर्माण मुस्तफा कलोल की बेटी बुआ ने करवाया था। गुम्बद के पास एक तालाब का निर्माण किया गया है।

बहादुरगढ (Martyrs City Jhajjar District)

● इससे पहले यह शराफाबाद के नाम से जाना जाता था। सन् 1757 में यह जागीर बहादुर खान पठान को दी गई थी। बहादुर खान यहाँ 40 साल रहा। सन् 1865 में बहादुरगढ़ में लाला भगवानदास ने एक तालाब का निर्माण करवाया था।

बेरी (Martyrs City Jhajjar District)

● बेरी को एक बिरदो नाम के कानूनगो ने बसाया था। बेरी को धनाढ्य लोगों का शहर कहा जाता था। बेरी में दो भीषण लड़ाइयाँ लड़ी गई थी। प्रथम लड़ाई सन् 1794 में जाटों और जॉर्ज थॉमस के मध्य तब लड़ी गई थी जब उसे झज्जर की आमिलदारी मिली थी। यह लड़ाई जॉर्ज ने जीती थी। दूसरी लड़ाई उसने सिक्खों और मराठों की संयुक्त सेना के विरुद्ध सन् 1801 में लड़ी थी। हरियाणा के प्रथम मुख्यमंत्री पण्डित भगवत दयाल शर्मा और भारत सरकार के पूर्व रक्षामंत्री प्रोफेसर शेरसिंह ने बेरी के राजकीय हाई स्कूल में शिक्षा ग्रहण की थी।

प्रमुख उद्योग (Martyrs City Jhajjar District)

◆ मैं. ग्लास इक्यूपमेंट (इंडिया) लि. (1974-75)
◆ मैं. रिलैक्सो फुटवियर लि. (1995-96)
◆ मैं सूर्या रोशनी लि. (1973-74)
◆ मै. पारले बिस्कुट्स लि. (1981-82)
◆ मैं श्रीकृष्ण पेपर मिल्स एंड इंड. प्रा.लि. (1974-75)
◆ स्टील पाइप सी. आर. स्ट्रिप्स

● हरियाणा में हिंदी माध्यम की प्रथम शाखा 1914 में Jhajjar में खोली गई।

● हरियाणा में पशुओं का सबसे बड़ा मेला जहाजगढ़ में लगाया जाता है।

● हरियाणा का पहला परमाणु विश्वविद्यालय जसौर खेड़ी Jhajjar में बनेगा।

● वर्तमान में Jhajjar का बस स्टैंड हरियाणा का सबसे बड़ा बस स्टैंड है।

● हरियाणा में Jhajjar में 1919 में पहली अदालत खुली थी।

● बहादुरगढ़- इसकी स्थापना राठी जाटों ने की थी। इसका पुराना नाम शरफाबाद था। बहादुरगढ़ पर महादजी सिंधिया का अधिकारी 1793 ई. में तथा अंग्रेजों का अधिकार 1803 ई. में हुआ था। बहादुरगढ़ को हरियाणा का प्रवेश द्वार भी कहते हैं। सेनेटरी उद्योग, फुटवीयर उद्योग, फुटवीयर पार्क, गौरेया पर्यटक स्थल, उत्तर भारत का प्रथम भूकंप मापीय केन्द्र बहादुरगढ़ में स्थित है।

● पेनासोनिक टैक्नो पार्क, जगन्नाथ यूनिवर्सिटी, झंकारा बाग खेल स्टेडियम, जापानी कंपनी डेनसो, प्रतापगढ़ फार्म, द्वारका और जोगी सेठ की हवेली (डिघल) झज्जर में स्थित है।

● पुरातत्व संग्रहालय- सन् 1959 में ओमनंद सरस्वती ने इसे बनवाया था। यह हरियाणा का सबसे बड़ा संग्रहालय है।