कपिलमुनि की नगर कैथल जिले की परीक्षा उपयोगी विशेष जानकारी (Kapilmuni nagari Kaithal District Current Affairs Haryana GK)

Kapilmuni nagari Kaithal District Current Affairs Haryana GK Haryana CET Exam

हरियाणा के उत्तर में स्थित है। इसके उत्तर-पश्चिम में पंजाब, पूर्व में करनाल व दक्षिण में जीन्द जिला स्थित है। इसे कपि-स्थल या कपि-निवास कहा जाता है। पुराण-कथा के अनुसार राजा युधिष्ठिर ने महाभारत युग के दौरान कैथल  की स्थापना की थी।
• स्थापना- 1 नवंबर, 1989 में नव जिला बना
• क्षेत्रफल- 2,317 वर्ग कि.मी.
• मुख्यालय- कैथल
• उपमण्डल- कैथल, गुहला व कलायत
• तहसील- कैथल, गुहला, कलायत, फतेहपुर,पुण्डरी
• उपतहसील- राजौद, ढाण्ड, सीवन
• खण्ड- गुहला स्थित चीका, कैथल, पुण्डरी, कलायत, राजौंद, सीवन, ढांड
• पर्यटन स्थल- गुरुद्वारा नीम साहिब, गुरुद्वारा मनजी साहिब, नवग्रह कुण्ड, मेला पुण्डरक
• जनसंख्या- 1074304
• जनसंख्या घनत्व- 464 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
• लिंगानुपात- 881
• साक्षरता दर- 69.15%

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पौराणिक एवं ऐतिहासिक (Kapilmuni nagari Kaithal)

● पुराणों के अनुसार कैथल को स्थापना युधिष्ठिर ने की थी। कैथल को हनुमान का जन्म स्थल भी माना जाता है। इसलिए इसका प्राचीन नाम कपिस्थल था। कैथल जिला अम्बाला मंडल का हिस्सा है। कैथल हरियाणा के उत्तर में स्थित है। राजौंद इसके दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह जिला 1 नवंबर, 1989 को कुरुक्षेत्र जिले को काटकर बनाया गया था। इसमें कैथल तथा गुहला नामक दो तहसीलें हैं तथा कैथल, पूंडरी, चीका व कलायत कस्बे हैं। इससे पूर्व यह करनाल जिले और फिर कुरुक्षेत्र जिले का उपमंडल भी रहा। राज्य के गठन के समय कैथल एक तहसील थी। यह तहसील भी जिला करनाल के अंतर्गत थी। वर्ष 1973 में जब कुरुक्षेत्र जिले को अलग जिले का दर्जा दिया गया तो कैथल क्षेत्र कुरुक्षेत्र में आ गया था। कैथल का नाम यजुर्वेद कथा संहिता के रचियता कपिल ऋषि के नाम पर भी पड़ा हो सकता है।
● कैथल के फरल गाँव में फल्गु का मेला लगता है। गुहला चीका में बाबा मीरां नव बहार की मजार पर प्रतिवर्ष मेला आयोजित होता है। कैथल-करनाल मार्ग पर स्थित मुंदड़ी गाँव में लव-कुश महातीर्थ के कारण भी कैथल की अलग पहचान है।
● कैथल सम्भवतः कपिलस्थ का वर्तमान नाम है। सन् 1398 में कैथल के जाटों ने तैमूर लंग का जबरदस्त विरोध किया था। मध्यकाल में मंढार राजपूत मोहनसिंह इसका जागीरदार था। अकबर के शासनकाल से पहले ही यहाँ ईंटों से निर्मित एक किला मौजूद था। सिक्ख गुरु रामदास भी यहाँ पधारे थे। जब बख्श खाँ और निहम्मत खाँ इसके जागीरदार थे तो बिड़ारवंशी जाट सिक्ख देस्सूसिंह ने अन्य जाटों की मदद से यह जागीर उससे छीन ली और इसे रियासत बना लिया। देस्सूसिंह ने सन् 1762 ईस्वी में अहमदशाह दुर्रानी के खिलाफ बरनाला में लड़ाई लड़ी। सन् 1781 ईस्वी में देस्सूसिंह की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र बहलसिंह और उसके बाद छोटा पुत्र भाई लालसिंह मुखिया बना। उसके बाद प्रतापसिंह (मृत्यु सन् (1823) और भाई उदयसिंह (1823-43) इसके शासक रहे। (Kapilmuni nagari Kaithal)
● राधा कृष्ण सनातन धर्म कॉलेज कैथल का सबसे पुराना कॉलेज है जो सन् 1954 में स्थापित हुआ था। इसके अलावा
यहाँ की राष्ट्रीय विद्या समिति ने 1970 में महिलाओं के लिए इन्दिरा गाँधी महिला महाविद्यालय की नींव रखी।

महत्वपूर्ण स्थल (Kapilmuni nagari Kaithal)

◆ रजिया सुल्तान का मकबरा- कैथल नगर के निकट पश्चिम दिशा में संगरूर रोड पर भारत की सम्राज्ञी रजिया सुल्तान का मकबरा है। इल्तुमिश की पुत्री रजिया और उसके पति का कत्ल, उसी के सरदारों द्वारा कैथल के निकट कर दिया गया था।
◆ नवग्रह कुण्ड- कैथल के पुरातन तीथों में नवग्रह कुण्डों का विशेष महत्त्व है। महाभारत के समय भगवान कृष्ण ने अभ्युत्थान हेतु नवग्रह यज्ञ का अनुष्ठान धर्मराज युधिष्ठिर के हाथों करवाकर नवग्रह कुण्डों (सूर्यकुण्ड, चन्द्र कुण्ड, मंगल कुण्ड, बुद्ध कुण्ड, बृहस्पति कुण्ड, शुक्र कुण्ड, शनि कुण्ड, राहु कुण्ड और केतु कुण्ड) का निर्माण करवाया था। इन कुण्डों में स्नान के महत्त्व के कारण कैथल को छोटी काशी भी कहा गया है।
◆ ग्यारह रुदी शिव मन्दिर- इस मन्दिर में महाभारत काल में अर्जुन ने शिव को प्रसन्न कर उनसे पाशुपत अस्त्र प्राप्त किया था। इस मन्दिर के वर्तमान भवनों का लगभग अढाई सौ वर्ष पहले तत्कालीन शासक उदयसिंह की पत्नी ने करवाया था। ◆ अम्बकेश्वर महादेव मन्दिर- कैथल में स्थित ‘अम्बकेश्वर महादेव मन्दिर’ की गिनती अतिप्राचीन मन्दिरों में की जाती है। यहाँ स्थित शिवलिंग को पातालेश्वर और स्वयंलिंग भी कहा जाता है। यह महाभारत काल का मंदिर है।
◆ मीरां नौबहार पीर की मजार, गुहला चीका- गुहला चीका बाबा मीरां नौबहार पीर की मजार 960 वर्ष पुरानी बताई जाती है। बाबा मीरां के आठ भाई थे, जिनमें बाबा मीरां सबसे बड़े थे, जिस कारण इन्हें बड़ा पीर कहा जाता है। (Kapilmuni nagari Kaithal)
◆ पुण्डरी- इसका नाम पुण्डरीक ऋषि, जिनकी यह तपस्थली मानी जाती है, पर पड़ा है।
◆ पुण्डरीक सरोवर: पुण्डरिक तीर्थ के पावन तट पर नवीकृत नवग्रह कुण्ड का निर्माण करवा कर 28 मई, 1987 को इसे
जनता को समर्पित कर दिया। मान्यता यह है कि सतयुग से आज तक कभी भी इस सरोवर का जल खत्म नहीं हुआ है।
◆ गीता मन्दिर- पुण्डरीक तीर्थ पर जाते समय मरदाने घाट के साथ बने विशाल चबूतरे के पास ही यह विशाल गीता मन्दिर है।
◆ अंजनी का टीला- कैथल को हनुमान का जन्मस्थल माना जाता है। हनुमान की माता अंजनी को समर्पित अंजनी का टीला यहाँ के दर्शनीय स्थलों में से एक हैं।
◆ नवग्रह कुण्ड- इन कुण्डों की स्थापना महाभारत के अनुसार कृष्ण ने यज्ञ अनुष्ठान हेतु युधिष्ठिर के हाथों से करवाई थी। सूर्य कुण्ड, चंद्र कुण्ड, मंगल कुण्ड, शनि कुण्ड, बुद्ध कुण्ड, वीर कुण्ड, शुक्र-कुण्ड, राहु कुण्ड और केतु कुण्ड आदि। इन्हीं कुण्डों के कारण कैथल को छोटी काशी कहते हैं।
◆ फरल (फलकी वन)- महाभारत एवं पुराणों के अनुसार प्रसिद्ध फलकीवन इसी स्थान पर था। फलकीवन और फलकी तीर्थ दोनों दृषद्वती नदी के तट पर थे। इस वन में पांडवों के वंशज अधिसोम ने 2 वर्ष तक तप किया था।
◆ यह मिश्रक तीर्थ भी कहलाता है। क्योंकि मुनि व्यास ने देवताओं के लिए यहाँ तीर्थों को एकत्रित किया था।

स्मरणीय तथ्य (Kapilmuni nagari Kaithal)

◆ कैथल को गुरुद्वारों का शहर, हनुमान नगरी, वानरों का वास स्थल, छोटी काशी भी कहा जाता है।
◆ कैथल के कलायत में कपिल मुनि का आश्रम था।
◆ कैथल के मुंदरी में संस्कृत विश्वविद्यालय निर्माणाधीन है।
◆ गुरुद्वारा नीम साहिब प्रताप गेट (कैथल), गुरुद्वारा मांजी साहिब (अंबाला व कैथल), गुरुद्वारा टोपियों वाला, शेख तैय्यब का मकबरा, बाबा शाह कलाम की मजार, ईंटो की बावड़ी, प्राचीन टीला बालू, अरनोली का टीला कैथल में स्थित है।
◆ कैथल में बने मंदिरों का वास्तु शास्त्र अजंता एलोरा की गुफाओं से मेल खाता है।