राजनीतिक राजधानी जींद जिले की परीक्षा उपयोगी विशेष जानकारी (Haryana GK Political Capital City Jind District Current Affairs)

Haryana GK Political Capital City Jind District Current Affairs Haryana CET Exam

हरियाणा का दिल जींद (Political Capital City Jind) के पूर्व और उत्तर पूर्व में पानीपत, करनाल और कैथल स्थिति है। पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में हिसार और फतेहाबाद जबसे हुए हैं, जबकि दक्षिण पूर्व में रोहतक और सोनीपत हैं।
• क्षेत्रफल- 2.702 वर्ग कि.मी.
• स्थापना- 1 नवंबर 1966
• उपमण्डल- जीन्द, सफीदों, नरवाना, उचाना
• तहसील- जीन्द, सफीदों, नरवाना, जुलाना, उचाना, अनेचस, अलेवा
• उपतहसील- अलेवा, पिल्लूखेड़ा, उचाना कलां
• खण्ड- जीन्द, जुलाना, पिल्लूखेड़ा, सफीदों, उचाना कलां, नरवाना, अलेवा
• जनसंख्या- 1334152
• जनसंख्या घनत्व- 494 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
• लिंगानुपात- 871
• 0-6 वर्ष लिंगानुपात- 835
• साक्षरता दर- 71.44%
• प्रमुख उद्योग- मिल्क प्लांट, जींद कोप्रटिव शुगर मिल्ज, कैटल फॉड प्लॉट, इंडस्ट्रियल केबल

पौराणिक और ऐतिहासिक तथ्य (Political Capital City Jind)

● कहा जाता है कि पाण्डवों ने महाभारत युद्ध से पूर्व जयंती देवी से कौरवों के खिलाफ जीत की प्रार्थना की थी। उन्होंने ही जयन्ती देवी के मंदिर का निर्माण करवाया था। इसी मंदिर के इर्द-गिर्द जिस नगर का विकास हुआ उसका नाम जयंतीपुर था, जो कालांतर में अपभ्रंश होकर जींद कहलाया। (Political Capital City Jind)

पीतल नगरी रेवाड़ी से जुड़ी परीक्षा उपयोगी जानकारीउद्योग नगरी फरीदाबाद से जुड़ी परीक्षा उपयोगी जानकारी
बुनकर नगरी पानीपत से जुड़ी परीक्षा उपयोगी जानकारीएजुकेशन सिटी सोनीपत
छोटूराम ने जब जिन्ना को पंजाब से बाहर भगायापिंक सिटी फतेहाबाद से जुड़ी परीक्षा उपयोगी जानकारी
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से जुड़ी परीक्षा उपयोगी जानकारीपॉपुलर के पेड़ों के हब यमुनानगर से जुड़ी परीक्षा उपयोगी जानकारी
छोटी काशी भिवानी से जुड़ी परीक्षा उपयोगी जानकारीमेढ़कों के शहर दादरी से जुड़ी परीक्षा उपयोगी जानकारी

● अकबर के शासनकाल में जींद हिसार सरकार का एक परगना था। फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनाई गई नहर इस कस्बे के पास से गुजरती थी।

● यह जयन्तोदेवी के नाम से बसाया गया था। इसी जयन्तीदेवी के नाम पर इस शहर का नाम जींद पड़ा। (Political Capital City Jind)

● जींद का प्रादुर्भाव 18वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में चौधरी फूल के पड़पौत्र राजा गजपतसिंह (सन् 1764 से 1789) के द्वारा हुआ। सन् 1192 में गौरी का पृथ्वीराज से युद्ध सन् 1775 में रहीम दाद खान व राजा गजपतसिंह के बीच युद्ध तथा सन् 1798 में जॉर्ज थॉमस और भागसिंह के बीच लड़ाई हुई। सन् 1763 में राजा गजपत और अफगानी राज्यपाल जीन खाँ के बीच युद्ध में गजपत की जीत हुई।

जींद बना था राजधानी (Political Capital City Jind)

● 1755 ई. में राजा गणपत सिंह ने अफगानों से यह इलाका जीत लिया था और उन्होंने 1776 ई. में अपने राज्य की राजधानी जींद को बनाया। बाद में संगत से सिंह ने संगरूर को जींद की जगह अपनी राजधानी बना लिया। 15 जुलाई 1948 को जींद और दादरी जिले को पटियाला और पेप्सू में मिला दिया गया। स्वतंत्रता के बाद जींद को पेप्सू में विलय के बाद जींद को संगरूर जिले के एक उपमंडल का दर्जा दिया गया।

● जींद के शासकों में गजपतसिंह (सन् 1764 से 1789), भागसिंह (सन् 1789 से 1813), रानी शोभा राय (सन 1813 से 1814), फतेह सिंह (सन् 1815 से 1822), संगत सिंह (सन् 1822 से 1837), स्वरूप सिंह (सन 1837-1864), रघुवीर सिंह (सन् 1864 से 1887) और रणबीर सिंह (सन् 1887 से 1947) शामिल हैं।

● राजा रघुवीर सिंह ने ‘भूतेश्वर महल बनवाया जिसे आजकल ‘रानी तलाब’ के नाम से जाना जाता है। गाँव पिंडारा एक पर्यटक स्थान है जहाँ माना जाता है कि पाण्डवों ने अपने पूर्वजों का पिंड दान किया था। (Political Capital City Jind)

धार्मिक एवं मनमोहक स्थल (Political Capital City Jind)

● रामराय- ग्रन्थों में यह तीर्थ स्थल रामहद के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने इस स्थल पर यज्ञ किया था। इसके निकट ही ग्राम ईक्कस है। ईक्कस को महाभारत काल के राजा इक्ष्वाकु की नगरी बताया जाता है।

● भूतेश्वर मन्दिर- जींद में स्थित रानी तालाब के बीचों-बीच बना हुआ भूतेश्वर मन्दिर में अपने मनोहारी वैभव से सबको आकर्षित करता है। भूतेश्वर मन्दिर का निर्माण वर्ष 1778-80 ईस्वी में जींद रियासत के महाराजा रघुवीर सिंह के घराने की रानी ने करवाया था। इसलिए इस मंदिर को रानी का तालाब भी कहते है। इस मंदिर का संबंध कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिक्रमा से है। (Political Capital City Jind)

● जीतगिरि मंदिर, काकदौड़ (जींद)- जींद जिले के गाँव काकदौड़ में स्थित बाबा जीतगिरि मंदिर में बाबा जीतगिरि की समाधि के आगे प्रतिदिन ज्योति जलाई जाती है। यहाँ के शिवलिंग के स्वरूप के बारे में जाना जाता है कि यह ऐसे पाषाण से बना है; जो हिमालय को नदियों के तीव्र वेग से नदी तल में पड़ा-पड़ा सैकड़ों वर्षों तक लुढ़कता और घिसता रहा। लोगों ने जब इसे शिवलिंग सरीखा पाया तो मंदिर में स्थापित कर दिया।

● बराह तीर्थ- जींद के बराह गाँव में महाभारत के अनुसार भगवान विष्णु ने यहाँ बराह अवतार लिया था।

● यक्षिणी तीर्थ- यह तीर्थ स्थल जींद के दिखनीखेड़ा नामक गाँव में स्थित है।

● पुष्कर तीर्थ- पौकरी खेड़ी का प्राचीन नाम पुराणों के अनुसार इसकी खोज जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने की थी। इस सरोवर में स्नान करने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराधना पूरी होती है।

● हटकेश्वर तीर्थ- जींद के हॉट गाँव में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि हटकेश्वर को पवित्र सरोवर में पृथ्वी के 68 तीर्थों की क्रांति एवं शक्ति निहित है। इस ग्राम को महाभारत कालीन ग्राम माना जाता है। (Political Capital City Jind)

● जामनी तीर्थ- इस स्थान पर भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि का प्राचीन मंदिर है जहाँ पर महर्षि जमदग्नि ऋषि का प्राचीन मंदिर है।

● इक्कस ग्राम- महाभारत के राजा इक्ष्वाकु की नगरी जींद जिले के इक्कस ग्राम में स्थित है।

● हंसैडर तीर्थ- जींद जिले की नरवाना तहसील के हंसैडर गाँव में स्थित है। कपिल मुनि का यहाँ जन्म हुआ था। जनश्रुति के अनुसार ब्रह्माजी यहाँ हंस की सवारी करते हुए आए थे।

● पाण्डु पिण्डारा- जींद में स्थित है। ग्रंथों के अनुसार इस स्थान पर पाण्डवों ने 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा की थी। पाण्डवों ने यहाँ अपने पूर्वजों के पिण्डान की रस्म भी यहाँ निभाई थी। (Political Capital City Jind)

● सफीदों (सर्पइमन )- महाभारत युग में इसे सर्पदमन के नाम से जाना जाता है। यहाँ नागक्षेत्र नामक सरोवर और तीर्थस्थल है। किवदंती के अनुसार राजा जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित को साँप के काटने का बदला सर्पदमन यज्ञ करके लिया था।

● दूढ़वा तीर्थ- अभिज्ञान शांकुतलम में इस तीर्थ का वर्णन है। जींद के इक्कस ग्राम के पास यहाँ दुर्योधन युद्ध में हारने के बाद छिप गया था तथा भीम ने उसे ढूंढकर यहाँ मार दिया था।

● रामराय (रामद्वद)- भगवान राम, सीता और लक्ष्मण आए थे तथा परशुराम ने यहां यज्ञ किया था। यहाँ भगवान परशुराम का मंदिर भी है। इसी के पास महाभारतकालीन इक्ष्वाकु की नगरी इक्कीसग्राम हैं और इसके पास ही ढूढ़वा नामक स्थान है, जहाँ दुर्योधन को भीम ने ढूंढ़कर मार गिराया था।

● धमताना साहिब- यह तीर्थ स्थल नरवाना में है। सिक्खों के नौंवे गुरु तेग बहादुर औरंगजेब के दरबार में अपनी शहीदी के
लिए जाते समय यहाँ रुके थे।

● मुजावता- निरंजन गाँव में स्थित है। वामन पुराण के अनुसार यहाँ से भगवान महादेव की कथा जुड़ी हुई है। यह माना जाता है कि जो व्यक्ति एक रात यहाँ पर उपवास रख ले तो उसे भगवान गणेश का आवास मिलता है।

● खाण्डा- यह तीर्थ स्थल जींद से 23 किमी. दूर है।

मुख्य बातें (Political Capital City Jind)

● हैबतपुर ( जींद) में प्रदेश का पहला ग्राम सचिवालय बना था।

● हर्बल पार्क- गाँव उचाना में दस एकड़ भूमि पर हर्बल पार्क यानी ‘औषधीय पार्क’ निर्मित है।

● जींद जिले में सर्वाधिक सात जिलों की सीमाएँ लगती है। जींद की सीमा पंजाब राज्य के संगरूर जिले से भी लगती है।

● सबसे ज्यादा भैंसों का पशुपालन हरियाणा के जींद जिले में होता है। हरियाणा में चमड़े की सफाई का कार्य मुख्यतः जींद जिले में होता है। पशुओं का चारा प्लांट, हरियाणा कृषि ट्रेनिंग संस्थान जींद जिले में स्थित है।

● प्राचीन टीला किरसोली भी जींद जिले में स्थित है। हजरत गाबी साहिब की दरगाह जींद जिले के नरवाना शहर में स्थित है।

● वर्ष 1938 में जींद प्रजा मंडल की नींव जींद की राजधानी संगरूर में प्रसिद्ध देशभक्त हंसराज रहबर ने रखी थी।

● जींद के किले का निर्माण गजपत सिंह ने करवाया था।

उचाना (Political Capital City Jind)

● जनश्रुति के अनुसार इसे दिल्ली के नांगलोई क्षेत्र से आए दहाड़ सिंह श्योकंद ने पंद्रहवीं सदी में बसाया था। दहाड़ सिंह के साथ अत्री गोत्रीय ब्राह्मण, राणा वाल्मीकि और कटारिया नाई भी थे। पहले यह टोला हिसार के गाँव सरसाना (निकट बरवाला) रुका और फिर इसी क्षेत्र में बसे हुए मुस्लिम आबादी के एक अन्य गाँव कर्सन खेड़ा में डेरा डाला जहाँ स्थानीय निवासियों से उनकी झड़प हुई। तत्पश्चात् उसके निकट एक ऊँचा स्थान देखकर एक नई बस्ती बसाई जो कालांतर में उचाना गाँव कहलाया। इस गाँव के साथ इससे निकलकर एक छोटा गाँव उचाना खुर्द बस गया।