खनिजों के शहर कानोड़ या महेंद्रगढ़ जिले की परीक्षा उपयोगी विशेष जानकारी (Mineral City Mahendragarh District Current Affairs Haryana GK)

Mineral City Mahendragarh District Current Affairs Haryana CET Exam Haryana GK

महेंद्रगढ़  जिला ( Mineral City Mahendragarh District of Haryana) हरियाणा के मध्य-दक्षिणा में स्थित है। इसके उत्तर में भिवानी, पूर्व में रेवाड़ी तथा दक्षिण एवं पश्चिम में राजस्थान स्थित है।
• क्षेत्रफल- 1.899 वर्ग कि.मी.
• स्थापना- 1 नवंबर 1966
• मुख्यालय- नारनौल
• उपमण्डल- महेन्द्रगढ़, कनीना व नारनौल
• तहसील- महेन्द्रगढ़, नारनौल, अटेली, कनीना, नांगल चौधरी
• उपतहसील- सतनाली
• खण्ड- अटेली नांगल, नांगल चौधरी, कनीना, महेन्द्रगढ़, सिंहमा, नारनौल, निजामपुर, सतनाली
• प्रमुख खनिज- स्लेट, लौह-अयस्क, एस्वेस्टस, संगमरमर, चूना
• जनसंख्या- 922088
• जनसंख्या घनत्व- 486 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
• लिंगानुपात- 895
• साक्षरता दर- 77.72%

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पौराणिक एवं ऐतिहासिक तथ्य Mineral City Mahendragarh

● जिला महेन्द्रगढ़ के केन्द्र स्थान ‘नारनौल’ की गणना प्राचीन तथा इतिहास प्रसिद्ध नगर के रूप में की जाती है। नारनौल महर्षि च्यवन की तपस्थली मानी जाती है। इसे खनिजों का शहर भी कहा जाता है। (Mineral City Mahendragarh)

● इसे नंदीग्राम के नाम से जाना जाता था। इस स्थान को ‘नाहरनौल’ अथवा ‘सिंहों का डहर’ नाम से पुकारा जाता था। इसी कारण इस नगर का नाम नारनौल पड़ा।

● कनौड़िया ब्राह्मणों द्वारा आबाद किए जाने की वजह से महेन्द्रगढ़ पहले ‘काहनौड’ के नाम से जाना जाता था। माना जाता है कि बाबर के समय इसे मलिक महदूद खां ने बसाया था।

● 17वीं शताब्दी में मराठा राजा तांत्या टोपे ने यहाँ एक किले का निर्माण करवाया था। सन् 1861 में पटियाला रियासत के शासक महाराजा नरेन्द्रसिंह ने अपने पुत्र मौहिन्द्रसिंह के सम्मान में इस किले का नाम महेन्द्रगढ़ रख दिया था। महेन्द्रगढ़ जिला राज्य का ऐसा जिला है जिसका मुख्यालय जिले के नाम के अनुरूप न होकर नारनौल में स्थित है।

● महेन्द्रगढ़ जिला (Mineral City Mahendragarh) हरियाणा राज्य के दक्षिण पश्चिम छोर के अंतिम सिरे पर स्थित है।

● महेंद्रगढ़ और इसके आसपास के गाँवों का आरंभ पृथ्वीराज चौहान के दादा अनंगपाल के काल में हुआ था।

● इसकी पश्चिम-दक्षिण सीमाएँ तथा पूर्वी सीमा का एक बड़ा भाग राजस्थान प्रदेश तथा पूर्वी सीमा का शेष भाग रेवाड़ी उत्तरी भाग भिवानी जिले के साथ लगता है।

पुरातत्व एवं धार्मिक स्थल Mineral City Mahendragarh

माधोगढ़ का किला– महेन्द्रगढ़ से 15 किलोमीटर दूर सतनाली सड़क मार्ग पर अरावली पर्वत श्रृंखला की पहाड़ियों के बीच सबसे ऊँची चोटी पर माधोगढ़ का ऐतिहासिक किला स्थित हैं। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण राजस्थान के सवाई माधोपुर के शासक माधोसिंह करवाया था।

राय मुकन्ददास का छत्ता– इस ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण शाहजहाँ के शासनकाल में नारनौल के दीवान राम मुकन्ददास ने करवाया था। यह स्मारक नारनौल के मुगलकालीन ऐतिहासिक स्मारकों में सबसे बड़ा है। अकबर के शासनकाल में यहाँ बीरबल का आना-जाना था. इसलिए इस स्मारक को ‘बीरबल का छत्ता’ के नाम से भी जाना जाता है।

इब्राहिम खान का मकबरा-नारनौल शहर के दक्षिण में घनी आबादी के बीच स्थित इब्राहिम खान का मकबरा एक विशाल गुम्बद के आकार का है। इसका निर्माण इतिहास प्रसिद्ध सम्राट शेरशाह सूरी ने अपने दादा इब्राहिम खान की यादगार में करवाया था।

मिर्जा अली जान की बावड़ी-मित्रों अली जान की बावड़ी नारनौल शहर के पश्चिम में आबादी से बाहर स्थित है। इस ऐतिहासिक बावड़ी का निर्माण अली जां ने करवाया था। (Mineral City Mahendragarh)

नारनौल की बावड़ियाँ-किसी समय नारनौल में चौदह बावड़ियाँ मौजूद थीं लेकिन इन बावड़ियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। नारनौल की मुख्य बावड़ी तख्तवाली बावड़ी है। सौंदर्य से परिपूर्ण यह बावड़ी छलक नदी के किनारे स्थापित है। अपने ऊपर शानदार तख्त शीश धारण किए हुए यह बावड़ी मिर्जा अली जान ने बनवाई।

शाह विलायत का मकबरा-शाह विलायत का मकबरा इब्राहिम खान के मकबरे के एक ओर है। यह मकबरा आकार में बड़ा है और इसे तुगलक से लेकर ब्रिटिश काल तक की परम्परागत वास्तुकला से सजाया गया है। फिरोजशाह तुगलक के काल में इसके निकट के स्थल बनाए गए थे।

चामुण्डा देवी का मंदिर– नारनौल के मध्य भाग में स्थापित यह प्राचीन मंदिर शहर के मुख्य दर्शनीय स्थलों में से एक होने के साथ-साथ सभी धर्मों व संप्रदायों की एकता का प्रतीक है। यह चामुण्डा देवी के भक्त राजा नूरकरण (बीकानेर) ने बनवाया था।

हमजा पीर दरगाह-नारनौल से करीब 10 किलोमीटर दूर ग्राम धरसूं में स्थित संत हमजा पीर की दरगाह भी काफी प्रसिद्ध है। हमजापीर का पूरा नाम हजरतशाह कलमुद्दीन हमजा पीर हुसैन था। (Mineral City Mahendragarh)

शिव मंदिर, बाघोत-महेन्द्रगढ़ से लगभग 40 किलोमीटर दूर कनीना-दादरी मार्ग पर स्थित ग्राम बाघोत का प्राचीन शिव मंदिर दर्शनीय स्थल है। इस प्रसिद्ध शिव मंदिर का नाम इक्ष्वाकु वंश के चक्रवर्ती राजा दिलीप से जुड़ा हुआ है। राजा दिलीप ने ही इस शिव मंदिर का निर्माण करवाया था और इसे ‘बाघेश्वर’ का नाम दिया गया। कालान्तर में बाघेश्वर से यह बाघोत अथवा भागोत हो गया।

चोर गुम्बद– इसका निर्माण जमाल खां ने करवाया था। इसे नारनौल का साइनबोर्ड के नाम से भी जाना जाता है। इस गुम्बद की आर्को का निर्माण अंग्रेजी के 5 वर्ग के आकार में किया गया है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में यह चार डाकुओं के घुमने की जगह थी इसलिए इसका नाम चोर गुम्बद पड़ गया।

शाह कुली खां का मकबरा– नारनौल में 1578 ई. में इसके निर्माण में स्लेटी और लाल रंग के पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इसके वास्तु शास्त्र में पठान शैली का प्रयोग किया गया है। इस मकबरे में त्रिपोलिया द्वार (गेटवे) का निर्माण 1589 ई. में किया गया था। शाह कुली खां ने यहाँ एक आराम-ए-कौसर बाग (नारनौल) का निर्माण करवाया था। शाहकुली ने 1591 में नारनौल में जल महल का निर्माण करवाया था।

बाबा रामेश्वर धाम– यह नारनौल से 25 किलोमीटर दूर स्थित बामनवास गाँव में है। यह धाम भगवान शिव को समर्पित है। इसमें 10 फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। रामनवमी के दिन यहाँ मेला लगता है। बाबा रामेश्वरदास यहाँ 1863 में आए थे। इनके गुरु श्री ब्रह्मेहारी थे। (Mineral City Mahendragarh)

दर्शनीय स्थल Mineral City Mahendragarh

● बाबा केसरिया धाम, मांडोला
● शोभा सरोवर, नारनौल
● बाबा खिमज धाम, सेहलंग
● पीर तुर्कमान, नारनौल
● बाबा भोलेगिरी आश्रम, खेड़ी तलवाना
● चामुण्डा देवी मंदिर, नारनौल (राजा नूरकरण ने बनवाया)
● पिप्लाद ऋषि का आश्रम, नारनौल
● हमजा पीर की दरगाह, नारनौल
● माधोखास मंदिर, नारनौल
● मिर्जा अली खां जान तख्त एवं बावड़ी, नारनौल
● शाह निमजा का मकबरा, नारनौल
●दशमेख गुरुद्वारा, नारनौल (Mineral City Mahendragarh)

महेंद्रगढ़ से जुड़ी विशेष जानकारियां Mineral City Mahendragarh

◆ हरियाणा में हवाई चप्पल महेंद्रगढ़ (Mineral City Mahendragarh) में बनती है।
◆ हरियाणा में महेंद्रगढ़ एकमात्र ऐसा जिला जो किसी भी राष्ट्रीय राजमार्ग से नहीं जुड़ा हुआ है।
◆ महेंद्रगढ़ हरियाणा में एकमात्र ऐसा जिला है जो संपूर्ण बीमीत है।
◆ हरियाणा में अरावली मैदान का सबसे ऊँचा भाग नारनौल नगर के दक्षिण-पश्चिम में कुलतांजपुर ग्राम में है जो 652 मीटर ऊँचा है और इसी को ढोसी की पहाड़ी कहते हैं।
◆ महेंद्रगढ़ में हरियाणा का एकमात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय है जो जंतपाली गाँव में 2009 में स्थापित किया गया था।
◆ उद्दालख ऋषि का आश्रम महेंद्रगढ़ के स्याणा नामक गाँव में है।
◆ नसीबपुर : यहाँ पर ब्रिटिश शासकों ने स्वतंत्रता सैनानियों का कत्ल किया था। कहा जाता है कि जिस समय रक्तपात हुआ था उस समय यहाँ की धरती लाल हो गई थी। यहाँ 1857 के क्रांतिकारियों का शहीदी स्मारक है।
◆ अन्नपूर्णा तीर्थ स्थल हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में स्थित है।
◆ महेंद्रगढ़ में अर्जुनायन गणराज्य भी स्थित था।

फसलें– सरसों में महेन्द्रगढ़ (Mineral City Mahendragarh) जिला पूरे प्रदेश में शिखर पर है। यहाँ की महत्त्वपूर्ण खरीफ फसल बाजरा है तथा रबी मौसम की फसलों में गेहूं, चना तथा सरसों महत्त्वपूर्ण फसलें हैं।

खनिजों के शहर महेंद्रगढ़ के प्रमुख खनिज Mineral City Mahendragarh

खनिज पदार्थ

◆ चूने का पत्थर, लोहा, एस्बेस्टस, स्लेट का पत्थर, मारबल आदि।

नारनौल

● अंग्रेज इतिहासवेत्ता विन्सेंट स्मिथ ने तो नारनौल को ‘शेरशाह की जन्मभूमि’ का संबोधन दिया है। अकबर ने ही यहाँ पर सिक्के ढालने को टकसाल की स्थापना की थी। बीरबल के छत्ते नाम से मशहूर राय बालमुकुंद दास का छत्ता यहाँ के मुगलकालीन इतिहास की झलक देता है तो इब्राहिम खान का मकबरा स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना पेश करता है। लाल पत्थरों से निर्मित यह भवन आज भी अपनी भव्यता का दावा पेश करता है। दूसरी ओर शाह कुली खां द्वारा निर्मित जलमहल नारनौल को नैसर्गिक सौंदर्य प्रदान करता है। तो नगर के दूसरे छोर पर बसा साहूकार गुंबज आज भी अपनी भव्यता व्यक्त कर रहा है। पांडवों की रमनस्थली एवं महर्षि च्यवन की कर्मस्थली ‘ढोसी’ इस नगर की आध्यात्मिक एवं प्राकृतिक पहचान है।

● नारनौल में एक वीर्य बैंक है जहाँ तरल नाइट्रोजन प्लांट लगा हुआ है। नारनौल को तालाबों और बावड़ियों का नगर भी है। महेंद्रगढ़, नारनौल, भिवानी तथा सिरसा व हिसार रेतीले भाग के अंतर्गत आते हैं जहाँ वर्षा कम होती है इसलिए यहाँ सिंचाई नलकूपों की सहायता फव्वारों द्वारा की जाती है। 1543 ई. में नारनौल में वीरभान ने सतनामी संप्रदाय की स्थापना की थी। वीरभान के काव्य ग्रंथ साहिब कहलाते हैं। वीरभान के गुरु का नाम उदयदास था।

● नारनौल को सिंहों का डहर भी कहा जाता है। उत्तर भारत का सबसे बड़ा लॉजस्टिक पार्क नारनौल में स्थित है। (Mineral City Mahendragarh)

● नारनौल को बावड़ियों का शहर तथा तालाबों का शहर भी कहा जाता है।

अटेली

● नारनौल से लगभग बीस किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में स्थित रेवाड़ी नारनौल रेलमार्ग पर स्थित अटेली महेन्द्रगढ़ जिले की प्रमुख मंडी है। यह स्थान अनाज की मण्डी व स्लेट-पत्थर की पहाड़ियों के कारण विख्यात है। स्लेट-पत्थर को प्रचुरता के कारण यहां स्लेट उद्योग हैं जो देश-विदेश में स्लेट की पूर्ति करते हैं।

कनीना

● महेंद्रगढ़ से लगभग पन्द्रह किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित कनीना एक ऐतिहासिक गाँव है जिसे तेरहवीं सदी में अजमेर क्षेत्र से आए कनीन (कनीनवाल) गोत्रीय अहीर कान्हाराम उर्फ काहनसिंह ने बसाया था और उसी के गोत्र के नाम पर इस गाँव का नाम कनीना पड़ा। इसी गाँव के सरदार जोधसिंह लगभग 40 गाँवों के चौधरी हुए और चौधरी माधोसित ने सदाव्रत (निरन्तर भोजन उपलब्ध) की व्यवस्था की। (Mineral City Mahendragarh)

● इसी गाँव में सल्तनत काल में एक अन्य योद्धा राव हरजीमल बड़े क्षेत्र के हाकीन रहे। जिनके वंशज राव हरसेवक ने मेवात के खानजादों को युद्ध में परास्त किया था। हरसेवक का भाई गुमानीराम भी बहुत शूरवीर योद्धा था, जिसने मांढण के युद्ध में रेवाड़ी के वजीर राव मित्रसेन (सन् 1770-1785) का साथ दिया था।

● सन् 1857 के बाद कनीना नाभा नामक रियासत के अधीन कर दिया गया। वर्ष 1938-39 में बीकानेर के राजा ने इसे रेलमार्ग से जोड़ दिया। मेजर भवानीसिंह (सन् 1878-1959), सूबेदार छाजूराम (सन् 1893-1962), बुधराम (सन् 1888-1968), प्रभातीसिंह (सन् 1920-2000) और जमादार भैरोसिंह (सन् 1859-1945) ने प्रथम एवं द्वितीय युद्ध में ख्याति प्राप्त की तो मंगलसिंह (सन् 1921-2001), गणेशीलाल (सन् 1917-1952), गंगाराम (सन् 1925-1987), नेतराम (सन् 1926 -1986), रणजीतसिंह (सन् 1915-1971), भूपसिंह (सन् 1919-1945), राव किरोड़ीमल (सन् 1922-1943) और पंडित घनश्यामदास (सन् 1818-1942) आजाद हिन्द फौज के स्वतन्त्रता सेनानी थे। (Mineral City Mahendragarh)

● इस गाँव के शहीदों में विशेष रूप से होशियारसिंह (सन् 1927-1948) शेरसिंह यादव (सन् 1945-1962), रामकुमार (सन 1937-1965) वीर चक्र विजेता, सुमेरसिंह (सन् 1929-1971), शेरसिंह फज्जर (सन् 1940-1971) व अन्य पर कस्बे को गर्व है। सन् 1939 में यहाँ ‘परगना मल्टीपर्पज सोसायटी’ की स्थापना हुई।

● सुबेदार ओंकारसिंह पेप्सू मंत्रिमंडल में सन् 1952 में उप-मन्त्री व पहले विधायक बने थे। कालान्तर में यहाँ मंडी की स्थापना हुई, जिसका कार्यालय सन् 1969 में तैयार हुआ। (Mineral City Mahendragarh)