kisan Ishwar Kundu को हरियाणा सरकार कर रही है परेशान, पद्म श्री से भी कटा नाम!
बिना किसी खास परिक्षण और पढ़ाई के जो किसान अपने जज्बे और जुनून के सहारे नई खोज करते हैं, उन्हें उनकी खोज के लिए तो सभी याद करते हैं, परंतु इन खोज करने वाले वैज्ञानिक किसानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली मानसिक पीड़ा को भी सहन करना पड़ता है। वैज्ञानिक किसान ईश्वर कुंडू की जिस खोज को दुनिया भर वैज्ञानिक किसानों के लिए वरदान मानते हैं, उन्हीं ईश्वर सिंह को सरकार द्वारा लंबे समय से प्रताड़ित किया जा रहा है। आविष्कारक किसान ईश्वर सिंह कुंडू (kisan Ishwar Kundu) का कहना है कि-
“ये वही फॉर्मूला है जिसके लिए हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय तक के बड़े आईएएस अधिकारियों तक से दो साल तक लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने जांच कराने,परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।”
आविष्कारक किसान सिंह कुंडू (kisan Ishwar Kundu)
किसान ईश्वर कुंडू के खिलाफ सरकार ने कृषि विभाग से तीन बार जांच करवाई और इसके अलावा विजिलेंस व सीआईडी से भी जांच करवाई। बल्कि उपायुक्त कैथल (डीसी) से लेकर एसडीएम तक से भी जांच करवाई। सरकार को जब कुछ हासिल नहीं हुआ तो लगे हाथ स्वास्थ्य विभाग से भी जांच करवाई,पर बिचारों को मुंह की खानी पड़ी थी। जीत सच की हुई। ऐसा भी बताया जाता है कि पिछले साल पद्म श्री की लिस्ट में ईश्वर कुंडू का नाम भी था. जो शायद इन जांचों के कारण कट गया। ईश्वर कुंडू का कहना है कि-
“खैर लड़ाई चलती रहनी है। पर कृषि विभाग ने पूरा साथ दिया। अन्य सभी जांच अधिकारियों ने भी मुझे क्लीन चिट दी थी।”
ईश्वर कुंडू
आविष्कारक किसान ईश्वर कुंडु (kisan Ishwar Kundu) का एक और फॉर्मूला भारत सरकार द्वारा स्वीकृत
भारत में फफूंदी नाशक उत्पादों का अरबों का बाजार है। बागवानों, सब्जी उत्पादक किसानों एवं धान, कपास आदि के किसान हर वर्ष अरबों के उपरोक्त उत्पाद खरीदते हैं। परंतु इतने महंगे उत्पाद प्रयोग करने के उपरांत भी उनकी समस्या का कोई हल नहीं हो रहा है। फिर भी ये उत्पाद खरीदना, प्रयोग करना किसान की मजबूरी बन चुकी है। दूसरी तरफ इनकी निर्माता कंपनियों ने विक्रेताओं व सलाहकारों का एक बहुत मजबूत नेटवर्क निर्मित कर लिया है, जिस कारण किसान इस भीषण चंगुल से निकल नहीं पा रहे हैं। फफूंदी नाशक फॉर्मूला
सन 2011 में आविष्कार किसान ईश्वर कुंडू (kisan Ishwar Kundu) ने इस समस्या पर अपना ध्यान लगाया और पाया की एक संगठित समूह द्वारा किसान वर्ग को डरा कर बेमतलब के उत्पाद fungicide के नाम पर थोपे जा रहे हैं। जिनसे समस्या का समाधान तो होता नहीं बल्कि खर्च बहुत ज्यादा बढ़ जाता है व निरर्थक उत्पादों के प्रयोग करने से फसल, पौधों मे आत्मरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
आविष्कारक किसान ईश्वर कुंडू (kisan Ishwar Kundu) का शोध
आविष्कारक किसान ईश्वर कुंडू (kisan Ishwar Kundu) ने इस दिशा में शोध आरंभ किया। आधार वही था, भारतीय आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित खोज पर काम आरंभ किया। पहले साल ही बेहतर परिणाम मिलने लगे। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रायोगिकी विभाग के नवीन खोजों को प्रोत्साहन, संरक्षण देने हेतु राष्ट्रीय नव प्रवर्तन संस्थान की स्थापना सन 2000 में की गई थी। किसान ईश्वर की कई खोजों को उपरोक्त विभाग कई बार सम्मानित कर चुका है। इसकी खोजों से प्रभावित होकर भारत के राष्ट्रपति भवन ने इसे अपना मेहमान बनाया व कई दिन राष्ट्रपति भवन में निवास किया। जो की समस्त किसान वर्ग के लिए गौरव का विषय है।
इस नए उत्पाद पर विभाग बरसों से परीक्षण कर रहा था। विभिन्न परीक्षणों उपरांत आविष्कारक किसान ईश्वर कुंडू (kisan Ishwar Kundu) की खोज को तेहरवीं राष्ट्रीय प्रतियोगिता हेतु स्वीकृत कर लिया गया है। पेटेंट की कार्यवाही भी शीघ्र आरंभ होगी। यह खोज पूरी तरह कुदरती जड़ी बूटियों और आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित है। जिसके शत-प्रतिशत सार्थक परिणाम मिले हैं। जहां बड़ी-बड़ी कंपनियों के उत्पाद असफल साबित हो रहे थे। वहाँ इस नवीन खोज से बने उत्पाद ने किसानों को पूरी तरह संतुष्ट किया। न केवल त्वरित व अछे परिणाम मिले, अपितु खर्च भी नाम मात्र का ही हुआ।
चाहे बाग हों, सब्जियां या फिर धान, कपास जैसी परंपरागत फसलें हो, सब पर सफल हुआ। हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, गुजरात आदि कई राज्यों के किसानों के खेतों पर हर तरह की फसलों, बागों आदि पर परीक्षण किए गए। जो पूरी तरह सफल रहे। यह किसान अपने नवीन खोजों के लिए विश्व स्तर पर सम्मानित हो चुका है। भारत का राष्ट्रपति भवन भी इसके उत्पादों का उपभोक्ता है। लिमका बुक आफ रिकॉर्ड्स सहित चार रिकॉर्ड स्थापित किए। इंडोनेशिया में हुई अन्ततर्राष्ट्रीय नव खोजों की प्रतियोगिता में भी भारत के लिए पुरस्कार जीता। राज्य स्तर से लेकर केंद्र व विभिन्न संस्थानों से चार दर्जन के आसपास पुरस्कार जीते व किसानों का सिर गर्व से ऊंचा किया।
किसान विज्ञानी ईश्वर सिंह कुंडू द्वारा तैयार किया गया फफूंदीनाशक, जिसका उन्होंने नाम वोलगा दिया है। वह एक एकड़ का 300 रुपये का आता है जबकि इसके अलावा अन्य फफूंदनाशकों के दाम प्रति एकड़ न्यूनतम 4000 से लेकर 10000 रुपये तक है। यह भी विशेष है कि यह उत्पाद सभी तरह की फफूंदी, वायरस व रोग को रोकने में कारगर है।
2011 से खोज कर रहे हैं
वर्ष 2011 में ईश्वर कुंडू ने इस समस्या पर अपना ध्यान लगाया और पाया की एक संगठित समूह द्वारा किसान वर्ग को डरा कर बेमतलब के उत्पाद फंगीसाइड के नाम पर थोपे जा रहे हैं, जिनसे समस्या का समाधान तो होता नहीं बल्कि खर्च बहुत ज्यादा बढ़ जाता है व निरर्थक उत्पादों के प्रयोग करने से फसल, पौधों में आत्म रक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। ईश्वर ने इस दिशा में शोध आरंभ किया। आधार वही था, भारतीय आयुर्वेद के सिद्धातों पर आधारित खोज पर काम आरंभ किया। खोज उपरांत उसने अपने उत्पाद का नाम चोलगा दिया। इसके पहले साल ही बेहतर परिणाम मिलने लगे। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग के नवीन खोजों को प्रोत्साहन, संरक्षण देने हेतु राष्ट्रीय नवप्रवर्तन संस्थान को स्थापना सन 2000 में की गई थी।
चार दर्जन से भी अधिक जीत चुके ईनाम
किसान ईश्वर की कई खोजों को उपरोक्त विभाग कई बार सम्मानित कर चुका है। इसकी खोजों से प्रभावित होकर भारत के राष्ट्रपति भवन ने इसे अपना मेहमान बनाया व कई दिन राष्ट्रपति भवन में निवास किया। जो की समस्त किसान वर्ग के लिए गौरव का विषय है। यह किसान अपने नवीन खोजों के लिए विश्व स्तर पर सम्मानित हो चुका है। भारत का राष्ट्रपति भवन भी इसके उत्पादों का उपभोक्ता है। लिमका बुक आफ रिकॉर्ड्स सहित चार रिकॉर्ड स्थापित किए। इंडोनेशिया में हुई अन्ततर्राष्ट्रीय नव खोजों को प्रतियोगिता में भी भारत के लिए पुरस्कार जीता। राज्य स्तर से लेकर केंद्र व विभिन्न संस्थानों से चार दर्जन के आसपास पुरस्कार जीतते हुए किसानों का सिर गर्व से ऊंचा किया।
आविष्कारक किसान ईश्वर कुंडू (kisan Ishwar Kundu) का संपर्क नंबर-9255544241
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