संस्कृति की भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वानों की परिभाषाएं (Definitions of Culture)

Definitions of Culture

Definitions of Culture संस्कृति के विविध पहलुओं पर विमर्श Definitions of Culture संस्कृति को परिभाषित करने का प्रयत्न लंबे अर्से से किया जा रहा है। भारतीय विद्वानों की परिभाषाएं Definitions of Culture आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार ”संस्कृति मानव की विविध साधनों की परिणित में निहित है। संस्कृति उस दृष्टिकोण को कहते है। जिससे … Read more

लोककवि लख्मीचंद के सांगों का लोक विमर्श (Lokkavi Lakhmichand ke Sango me Lok Vimarsh)

Lakhmichand ke Sango me Lok Vimarsh

Lokkavi Lakhmichand ke Sango me Lok Vimarsh Lakhmichand ke Sango me Lok Vimarsh पं. लखमीचंद का जन्म 1901 में जांटी कलां गांव (सोनीपत) में हुआ। इनके पिता उदमीराम एक साधारण किसान थे। उनके पिता ने लखमीचंद को स्कूल न भेजकर गौ-चारण में भेज दिया। गाय चराते हुए वो दूसरे लड़कों के साथ टूटे फूटे गीत … Read more

 लोक संस्कृति और पॉपुलर संस्कृति (Folk Culture and Popular Culture)

Folk Culture and Popular Culture

Folk Culture and Popular Culture Folk Culture and Popular Culture लोक साहित्य मानव विकास की एक लम्बी कहानी है। लोक साहित्य में लोक संस्कृति का वास्तविक प्रतिबिम्ब ही होता है। “ई. वर्ल्ड में देश-काल, संस्कृति-समाज, परिवार का विखण्डन आधुनिकता का पर्याय बन गया है।  कभी परिवार का अर्थ कुटुम्ब हुआ करता था, परन्तु आज  वह … Read more

सांग का स्वरूप और परंपरा (Saang ka Svaroop aur Parampara)

Saang ka Svaroop aur Parampara

Saang ka Svaroop aur Parampara स्वांग का अर्थ है भेष बदलना भारत विभिन्न लोक संस्कृतियों का देश है। यहां विभिन्न संस्कृतियों के संघर्ष भी हुए हैं, समन्वय भी हुए हैं, जिनकी उपस्थिति एवं विमर्श यहां की लोककथाओं में देखे जा सकते हैं। यह आधुनिक संदर्भों में शास्त्रीय साहित्य या शिष्ट समाज के साहित्य से भिन्न  … Read more

लोक साहित्य की अवधारणा (Concept of Folk Literature)

Concept of Folk Literature

Concept of Folk Literature परिभाषाएं एवं व्याख्याएं लोक साहित्य की अवधारणा Concept of Folk Literature संसार में जहां कहीं भी आज का साहित्य, सभ्यता, विज्ञान नहीं पहुंचा है, जहां खाने के लिए रोटी भी नसीब नहीं है, तन ढकने के सलीके नहीं, वहां लोककला, लोकनृत्य, लोक वार्ताएं, लोककथाएं यानी जीवन को गतिशील एवं चैतन्य रखने … Read more