2024 BJP Election Plan पीएम मोदी और अमित शाह की रणनीति
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर जहां भाजपा ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है, वहीं कांग्रेस अभी राहुल गांधी की छवि सुधारने के लिए पदयात्रा में मशगूल है। जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा की रणनीति तीन बड़े कार्यक्रमों पर आधारित लग रही है। पीएम मोदी और अमित शाह अपनी रणनीतियों पर गंभीरता के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पहला, नए संसद भवन का उद्घाटन, जो अप्रैल 2023 में होने वाला है; दूसरा, जी-20 का सम्मेलन, जिसकी अध्यक्षता भारत को मिली है। 9-10 सितंबर को होने वाले इस शिखर सम्मेलन से पहले देश भर में अगल-अलग मुद्दों को लेकर दो सौ भव्य कार्यक्रम होंगे। दुनिया भर के नेता शिखर सम्मेलन के मौके पर भारत आएंगे, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी करेंगे। इससे जनमत बनाने में भाजपा को काफी मदद मिल सकती है। और तीसरा है, राममंदिर, जिसकी राजनीति ने भाजपा की हमेशा मदद की है।
नौ राज्यों में होंगे विधानसभा का चुनाव (2024 BJP Election Plan)
2024 में नौ राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। अभी फरवरी-मार्च में पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में चुनाव होंगे। त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के तुरंत बाद कर्नाटक में चुनाव होंगे, जो मनोवैज्ञानिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। वहां से जैसी खबरें आ रही हैं, उनके मुताबिक कांग्रेस बेहतर स्थिति में लग रही है। अगर कांग्रेस अंतिम क्षण की लड़ाई में मात न खा जाए या आपसी झगड़ों में उलझकर न रह जाए, तो पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस के लिए वहां अच्छी संभावनाएं हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत का फायदा उसे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में भी मिल सकता है। जीत एक तरफ मनोबल बढ़ाती है तो दूसरी तरफ माहौल बनाने में मदद मिलती है।
राजस्थान में कांग्रेस की हालत अच्छी नहीं बताई जा रही है और लोग मानकर चल रहे हैं कि वहां इस बार भाजपा सत्ता में आएगी। इसके तीन कारण हैं-सत्ता विरोधी रुझान, कांग्रेस का अंतर्कलह और हर बार सत्ता बदलने की परंपरा। इन सबसे महत्त्वपूर्ण है- हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण। जिसमें एक बड़ी घटना ने बीजेपी को बड़ा मुद्दा दे दिया है। उदयपुर में कन्हैयालाल नामक दर्जी की दो मुस्लिमों ने हत्या कर दी थी। उसी दिन कई लोगों ने कह दिया था कि अगले विधानसभा चुनाव का नतीजा तय हो गया।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस अच्छी स्थिति में है। कहीं न कहीं, अब भी लोगों में कांग्रेस के प्रति इस बात को लेकर सहानुभूति है कि पिछली बार चुनाव जीतने के बावजूद भाजपा ने उसे सत्ता से बेदखल कर दिया था। दूसरी तरफ, यदि शिवराज सिंह चौहान चुनाव जीत जाते हैं, तो वह पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनेंगे, जो कम महत्वपूर्ण नहीं है। वहां भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश कर सकती है।
राजस्थान की तरह मध्यप्रदेश में कांग्रेस पस्त नहीं है, इसलिए वहां अच्छी टक्कर होगी। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के लिए संभावनाएं नजर आ रही हैं।
तेलंगाना में कांग्रेस लड़ाई के मैदान में कहीं नहीं है। वहां मुख्य लड़ाई केसीआर की पार्टी और भाजपा के बीच है। बेशक वहां भाजपा की सीटें बढ़ेंगी, लेकिन चुनाव जीतने के लिए उसे लंबी छलांग लगानी होगी, क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच सीटों का अंतर बहुत ज्यादा है। केसीआर ने जो अपनी पार्टी को राष्ट्रीय नाम दिया है, वह सिर्फ प्रधानमंत्री पद की दावेदारी जताने के लिए नहीं, बल्कि तेलुगू गौरव को जगाने के लिए नेशनल कार्ड खेला है, ताकि तेलंगाना उनके पाले में ही रहे।
भाजपा विधानसभा चुनाव हारती है तो (2024 BJP Election Plan)
अगर भाजपा को इन राज्य विधानसभा चुनावों में नुकसान होता है, तो वह चाहेगी कि जी-20 अध्यक्षता के माध्यम से इस तरह का माहौल बनाए कि उसकी भरपाई हो जाए। भाजपा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रवाद, विश्वगुरु, दुनिया में हिंदुस्तान की जगह, भविष्य के नए भारत की छवि आदि को लेकर माहौल बनाएगी। इसके अलावा…
क्या है भाजपा का ओबीसी कार्ड
भाजपा ओबीसी कार्ड का इस्तेमाल भी कर सकती है। ओबीसी उप-श्रेणी को लेकर जी रोहिणी कमीशन (विस्तार से पढ़ने के लिए क्लिक करें) का फैसला इस साल आएगा। अगर इस आयोग का यह फैसला आता है कि अत्यंत पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी ओबीसी आरक्षण में बढ़ाई जाए, तो भाजपा को बहुत फायदा होगा, क्योंकि उन छोटी-छोटी जातियों में भाजपा की पकड़ ज्यादा है। (2024 BJP Election Plan)
विपक्ष की रणनीति अभी तय नहीं
जहां तक विपक्ष की रणनीति की बात है, तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से एक अच्छी भावना बनी है, लेकिन चुनाव में इसका असर कितना होगा, इस बारे में अभी कोई कुछ नहीं कह सकता। कांग्रेस का संगठन मजबूत नहीं है और जिन राज्यों में उसके लिए संभावनाएं हैं, वहां वह अपने संगठन को कितना मजबूत कर पाती है, यह देखने वाली बात होगी।
दूसरी तरफ नीतीश कुमार चाह रहे हैं कि पुराना जनता दल पुनर्जीवित हो जाए, जो विपक्षी एकता की धुरी हो, जैसे 1988 में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जनता दल बनाया था। लेकिन अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है। अगर गैर-कांग्रेसी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो जाएं, जिसमें क्षेत्रीय दल भी साथ जुड़ जाएं, तो फिर विपक्षी एकता का एक स्वरूप लोगों के सामने स्पष्ट हो जाएगा। इस संबंध में नीतीश कुमार की बात राजद, आईएनएलडी और जनता दल एस से हो चुकी है, हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा। नीतीश की रणनीति सबसे आखिर में कांग्रेस से बात करने की है।
जहां तक विपक्ष के चेहरे की बात है, तो यह अभी तय नहीं हुआ है, चेहरे पर सहमति बन पाना चुनाव से पहले मुश्किल होगा। बेशक नीतीश कुमार सबसे ज्यादा स्वीकार्य चेहरे होंगे, लेकिन विपक्ष के पास आज ऐसा कोई चेहरा नहीं है, जो चुनाव में मोदी को टक्कर दे सके। भाजपा के खिलाफ हर निर्वाचन क्षेत्र में विपक्ष यदि अपना एक संयुक्त प्रत्याशी उतारे, तो खेल पलट सकता है। इसकी चर्चा अभी विपक्षी खेमे में चल रही है। 2024 BJP Election Plan
साल 2019 में जब मोदी लोकप्रियता के चरम पर थे, तब भी 60 फीसदी वोट विपक्ष के पास था। हालांकि अभी जल्दबाजी है, लेकिन अगर विपक्ष भाजपा को 220-230 सीटों तक सीमित कर दे, यानी उसकी 60-70 सीटें कम कर दे, तो खेल बदल जाएगा। और अगर कांग्रेस सौ सीटों तक पहुंच गई, तो न्यायपालिका से लेकर नौकरशाही तक सभी संस्थानों को बहुत बड़ा संकेत जाएगा।
कुल मिलाकर, वर्ष 2023 भारत की राजनीति के लिए बहुत अहमियत रखता है, क्योंकि इसी वर्ष आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर माहौल तैयार होगा। भाजपा की रणनीति लगभग तय है। पर विपक्ष की रणनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि वह किस दमखम, मजबूती और एकजुटता के साथ भाजपा का मुकाबला करता है। जमीनी स्तर पर विपक्ष को काफी मेहनत करनी पड़ेगी।