Politics : 4 करोड़ रू देकर बने मुख्यमंत्री!

Politics में पर्ची-खर्ची का खेल चलता रहेगा सदा

नौकरियों में पर्ची-खर्ची की बात करने वाले नेता खासकर राष्ट्रीय दलों के नेता खुद कुर्सी हासिल करने के लिए सदा से पर्ची एवं खर्ची के भरोसे रहे हैं। आज हम आप से एक ऐसे सीएम की कुर्सी हासिल करने का किस्सा शेयर करेंगे, जोकि 4 करोड़ रु देकर सीएम बने थे। अगर आप वर्तमान सीएम के बारे में ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं, वो खर्ची से नहीं बल्कि पीएम मोदी की पर्ची से सीएम बने थे।

1982 हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम (Politics)

ये बात है 1982 के विधानसभा चुनाव परिणाम से जुड़ी हुई। 1982 में लोकदल के खाते में 31 सीट, भाजपा के 6, कांग्रेस के 36 सीट और आजाद के हिस्से में 16 सीट आई थी। यानी कांग्रेस को 37.58 प्रतिशत, लोकदल को 23.87 प्रतिशत, भाजपा को 7.67 प्रतिशत, आजाद को 26.54 प्रतिशत वोट मिले थे। कायदे से लोकदल और भाजपा की।

जीडी तपासे को मारा थप्पड़ (Politics)

4 करोड़ वाला किस्सा है 1982 का। आप सभी यह तो जानते हैं कि उस बार बहुमत लोकदल को मिला था, परंतु राज्यपाल गणपत देवजी (जीडी) तपासे ने मुख्यमंत्री की शपथ भजनलाल को दिला दी थी। उसके बाद काफी हंगामा हुआ था। चौधरी देवीलाल और जीडी तपासे की झड़प और थप्पड़ मारने के किस्से आज भी सियासी गलियारों में यूं ही गूंजते हैं।
खैर बात 1982 की हो रही है। विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में जनता पार्टी ने सरकार बनाने का दावा किया, उसने अपने पास जनता पार्टी के 34 विधायक, बीजेपी के 6 विधायक और 6 आजाद विधायकों सहित राज्यपाल को 46 विधायकों की गिनती पूरी करवा दी थी। उस समय पार्टियों से बनने वाले विधायकों की लिस्ट-
आजाद (16) – कालका से लछमन सिंह, नारायणगढ़ से लाल सिंह, मुलाना से फूलचंद, नीलोखेड़ी से चंदा सिंह, रौदार से राम सिंह, कैथल से रोशन लाल, सालहावास से हुकम सिंह, कैलाना से राजिंद्र सिंह, बल्लभगढ़ से शारदा रानी, नूंह से रहीम खान, सोहना से विजय वीर सिंह, भट्टू कलां से प्रो. संपत सिंह, हिसार से ओमप्रकाश महाजन, सिरसा से लछमनदास अरोड़ा, रेवाड़ी से राम सिंह, अटेली से निहाल सिंह।
लोकदल (31)- छछरौली- रोशन लाल आर्य, इंद्री-लछमन, जुंडला-सुजान सिंह, असंध-मनफूल सिंह, थानेसर-साहब सिंह सैनी, गुहला-दिलूराम, पाई-नाहर सिंह, हसनगढ़-बसंती देवी, किलाई-हरीचंद् हुड्डा, महम-देवीलाल, बेरी-ओमप्रकाश, झज्जर-बनारसीदास, बादली-धीरपाल सिंह, बहादुरगढ़-मांगेराम, बरोदा-भलेराम, गुहाना-किताब सिंह मलिक, रोहट-भीम सिंह दहिया, कलायत-जोगीराम, जींद-बृजमोहन, जुलाना-कुलबीर सिंह, मेवला महाराजपुर-महेंद्र प्रताप सिंह, हसनपुर-गिरराज किशोर, बाढड़ा-चंद्रावती, दादरी-हुकम सिंह, मुंढाल खुर्द-बलबीर ग्रेवाल, लोहारू-हीरानंद, बवानीखेड़ा-अमर सिंह, नारनौंद-वीरेंद्र सिंह, हांसी-अमीर चंद मक्कड़, घिराय-कंवल सिंह, ऐलनाबाद-भागीराम
जनता पार्टी (1)-अजमत खान
बीजेपी (6)-सोनीपत से देवीदास, पानीपत से फतेहचंद विज, सढौरा से चौधरी भागमल, महेंद्रगढ़ से रामबिलास शर्मा, अंबाला सिटी मास्टर शिवप्रसाद, रोहतक से मंगलसेन
कांग्रेस (36)- यमुनानगर-राजेश कुमार, जगाधरी-ओमप्रकाश, अंबाला कैंट-रामदास धमीजा, नग्गल-निर्मल सिंह, करनाल-शांति देवी, घरौंडा-वेदपाल, समालखा-करतार सिंह, नोल्था-प्रसन्नी देवी,शाहबाद-तारा सिंह, पिहोवा-पियारा सिंह, पुंडरी-ईश्वर सिंह, कलानौर-करतार देवी, राई-जसवंत सिंह, नरवाना-शमशेर सिंह सुरजेवाला, उचाना कलां-बीरेंद्र सिंह, राजौंद-दयानंद, सफीदों-कुंदन लाल, फरीदाबाद-एससी चौधरी, पलवल-कल्याण सिंह, फिरोजपुर झिरका-शकरउल्ला, तावड़ू-कबीर अहमद, गुड़गांव-धर्मबीर, पटौदी-मोहन लाल, भिवानी-सागर राम, तोशाम-सुरेंद्र सिंह, बरवाल-इंद्र सिंह नैन, टोहाना-हरपाल सिंह, रतिया-नेकीराम, फतेहाबाद-गोबिंद राय, आदमपुर-भजनलाल, दड़बा कलां-बहादुर सिंह, रोड़ी-जगदीश नेहरा,डबवाली-गोवर्धनदास चौहान, बावल-शंकुतला, जटुसाना-राव इंद्रजीत, नारनौल-फूसाराम।

खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए पहुंचे परमाणु (Politics)

कहने को तो 1982 में जनता ने त्रिशंकु परिणाम दिया था, परंतु सबसे बड़ा दल कांग्रेस थी तो लोकदल और भाजपा दोनों के गठबंधन के पास कांग्रेस से एक सीट ज्यादा थी। ऐसे में सरकार बनाने का मौक गठबंधन को दिया जाना था।
जीडी तापसे (हरियाणा के राज्यपाल) ने पहली बार 24 मई की सुबह तक बहुमत साबित करने के लिए 22 मई 1982 (लोकदल + भाजपा गठबंधन के नेता) को देवी लाल को बुलाया था, परंतु देवीलाल के नेतृत्व में 46 नेता परमाणु में रूके हुए थे और सोमवार सुबह का इंतजार कर रहे थे, परंतु राज्यपाल तपासे ने रविवार को चौधरी भजन को मुख्यमंत्री की शपथ दिला दी।
जनता पार्टी के साथ बीजेपी व आजाद थे तो बहुमत जनता पार्टी के गठबंधन के पास था। अपने 46 विधायकों के साथ परमाणु में हिमाचल भवन में चले गए ताकि किसी तरह की खरीद फरोख्त न हो। परंतु भजनलाल ने बड़ी चतुराई से नेताओं के परिवार वालों को सैट कर लिया और वहीं कांग्रेस हाईकमान के जरिए तपासे से कहकर सीएम बन गए।

4 करोड़ में बने सीएम (Politics)

इस पूरे मामले को लेकर पूर्व विधायक (1982) एवं पूर्व वीसी भीम सिंह दहिया ने अपने साक्षात्कार में बताया कि – चौधरी भजनलाल ने उन्हें बताया था कि ये मुख्यमंत्री बनने का चमत्कार उन्होंने 4 करोड़ रु देकर किया था। जिनमें से दो करोड़ प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पीए आरके धवन को दिए थे और दो करोड़ जगजीवन राम को उनके पीएम के माध्यम से दिए थे। तब जाकर तपासे ने सीएम की तपती कुर्सी चौधरी देवीलाल से छीनकर भजन लाल को सौंपी थी। कल्पना कीजिए 1982 में 4 करोड़ रु कितनी बड़ी रकम होती थी। एक बार डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी कहा था कि 1982 में चौधरी देवीलाल जी के पास रु होते तो वो मुख्यमंत्री बनते। उनके कहने का लब्बोलुआब यही था कि पैसे के बगैर राजनीति करना असंभव है। पैसे वाली बात मोटी, बाकी बात खोटी- राजनीति का मूलमंत्र यही है। बाकी की बाते गुरु-घंटाल हैं, बजाते रहिए।
कहने का मतलब यही है कि राजनीति (Politics) शुरू से ही मोटे बजट का खेल रही है। इसलिए पर्ची-खर्ची सदा से चलती आई है और चलती रहेगी।