जानिए क्या था मामला : दीनबंधु छोटूराम ने जब मोहम्मद अली जिन्ना को कान पकड़ कर निकाला ( Deenbandhu Chhoturam)

Deenbandhu Chhoturam grabbed Mohammad Ali Jinnah’s ear and pulled it out

यह कार्टून 28 अप्रैल 1944 को हिंदुस्तान टाइम्स में छपा था। न्यूज थी कि पश्चिमी पंजाब वर्तमान पाकिस्तान से जिन्ना को चौधरी छोटूराम ने भगा दिया। उनके मंसूबो पर पानी फैर दिया और वहां से जिन्ना को भागने पर मजबूर कर दिया। इतनी ताकत थी चौधरी छोटूराम (Deenbandhu Chhoturam) के भाईचारे की। जिन्होंने हिन्दू मुस्लिम सिख आदि किसानों को एक सूत्र में पिरो दिया था।

दीनबंधु छोटूराम (Deenbandhu Chhoturam) का व्यक्तित्व ऐसा था कि उनकी वजह से अविभाजित पंजाब प्रांत में न तो मोहम्मद अली जिन्ना की दाल गल पाई और ना ही हिंदू महासभा अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक पाई। ऐसा बताया जाता है कि वो उस पंजाब प्रान्त की सरकार के मंत्री थे, जिसका आज दो तिहाई हिस्सा पकिस्तान में है। उन्हें सरकार का मुखिया बनने का अवसर मिला तो उन्होंने कहा कि तत्कालीन पंजाब प्रांत में मुसलमानों की आबादी 52 प्रतिशत थी। इसलिए उन्होंने किसी मुसलमान को ही मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश की और खुद मंत्री बने रहे। इसलिए ही उन्हें ‘रहबर-ए-हिन्द’ की उपाधि दी गयी थी।

सुनिए क्यों छिड़ गई थी प्रो. शेरसिंह और छोटूराम के बीच जुबानी जंग -धर्मेंद्र कंवारी जी

मि० जिन्ना को रहबर-ए-आजम छोटूराम (Deenbandhu Chhoturam) ने कान पकड़कर पंजाब से बाहर निकाला

खुशविंद्र सिंह ढिल्लो ने आज फेसबुक पर पोस्ट पर लिखी है कि मार्च 28, सन् 1944 में मि० जिन्ना को रहबर-ए-आजम छोटूराम (Deenbandhu Chhoturam) ने कान पकड़कर पंजाब से बाहर निकाला।

सन् 1944 में भारत की राजनीति में मुस्लिम लीग का प्रभाव बहुत प्रबल हो गया था। मुसलमान जाति उसके झण्डे के नीचे संगठित होकर जिन्ना को अपना नेता मान चुकी थी, परन्तु जिन्ना इस बात से बहुत चिन्तित थे कि मुसलमानों के गढ़ पंजाब में चौ० छोटूराम के कारण उनकी दाल नहीं गल पा रही है। अतः वहां की सरकार को किसी भी प्रकार तोड़ने के लिए वे जी-तोड़ कौशिश कर रहे थे।

जिन्ना लाहौर पहुंचे और पंजाब के प्रधानमन्त्री श्री खिजर हयात खां पर दबाव डाला परन्तु चौधरी छोटूराम के निर्देश पर श्री खिज़र हयात खां ने मि० जिन्ना को 24 घण्टे के भीतर पंजाब से बाहर निकल जाने का आदेश दे दिया। वह निराश होकर आदेश अनुसार पंजाब से बाहर निकल गया।

उन दिनों जब राष्ट्र के कांग्रेसी चोटी के नेता तथा अन्य सभी नेता जिन्ना के सामने किंकर्त्तव्यविमूढ़ होकर हथियार डाल रहे थे और अंग्रेज शासक जिन्ना की पीठ ठोक रहे थे तो केवल चौ० छोटूराम का ही साहस था कि उसके विरुद्ध ऐसा कठोर पग उठाया। अहंकार की मूर्ति जिन्ना को कितनी खीझ हुई होगी, इसकी कल्पना सहज ही की सकती है।

जिन्ना को पंजाब से बाहर निकाले जाने पर पंजाब के मुसलमानों में कोई रोष पैदा नहीं हुआ और न ही उन्होंने इसका विरोध किया। इसका कारण साफ है कि पंजाब के लोगो का दिल चौ० छोटूराम ने जीत रखा था जो इनको छोटा राम कहा करते थे। जिन्ना को पंजाब से निकालने के बाद तो मुसलमानों ने चौ० छोटूराम को रहबरे आजम का खिताब दे दिया।